बुखार क्यूँ होता है, और बुखार के प्रकार (Fever kyun hota hai, aur yeh kitne prakar ka hota hai?)
हम लोगों में शायद ही कोई ऐसा हो जिसे कभी बुखार न हुआ हो| सर्दी, जुखाम और ज्वर अक्सर सबको होते ही रहते हैं| परन्तु बुखार कई प्रकार के होते हैं, और इसको पहचानना बहुत जरूरी होता है की हमको बुखार किस कारणवश हुआ है| इसके मूल्यांकन में गलती ज़िन्दगी और मौत का अंतर पैदा कर सकती है|
इस लेख में हम यही जानने की कोशिश करेंगे की विभिन्न प्रकार के बुखार क्या हैं, और वो कैसे होते हैं|

बुखार होने पर आपको किसी डॉक्टर को अवश्य दिखाना चाहिए| अक्सर डॉक्टर या वैद्य खुद ही बता देते हैं की आपको किस प्रकार का बुखार है, या फिर वो आपको किसी परीक्षण और जाँच करवाने के लिए कह सकते हैं| यह जानना बहुत जरूरी है की आपको बुखार क्यों हुआ है, अन्यथा उसका इलाज करना अत्यंत कठिन साबित हो सकता है| इस लेख का उद्देश्य सिर्फ आपको इस सम्बन्ध में सामान्य जानकारी देना है|

- बुखार क्या होता है ?
- बुखार के संभावित कारण
- बुखार कितने प्रकार के होते हैं ?
बुखार क्या होता है ?
मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 36°C से 37.5°C (या 98.6°F) होता है| अगर तापमान इससे अधिक हो जाये तो इसको ही ज्वर या बुखार कहते हैं| या दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे शरीर में जितनी ऊर्जा बनती है, उतनी ही निकल भी जाती है| परन्तु बुखार में यह संतुलन बिगड़ जाता है| या तो शरीर का तापमान बहुत गिर जाता है, या बहुत बढ़ जाता है|

अगर शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, तो उसको भी बुखार या फीवर ही कहा जाता है|
यह देखा गया है की प्रति 1°C तापमान बढ़ने पर (शरीर का) दिल की धड़कन, या नाड़ी की चाल 10 बढ़ जाती है, और साँस लेने की गति में लगभग 4 का इजाफ़ा हो जाता है|
ज्वर खुद कोई बीमारी नहीं होती, बल्कि यह किसी बीमारी का सूचक होता है| ज्वर हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होता है, जो किसी संक्रमण, कीटाणु, या जीवाणु को मारने के लिए शरीर का तापमान बढ़ा देती है|
बुखार के संभावित कारण
बुखार कई कारणों से हो सकता है| उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- विषाणु (वायरस) की वजह से - वायरल बुखार 7 से 14 दिनों में खुद ही ठीक हो जाता है| इसमें गला ख़राब, सर्दी, खांसी, आदि लक्षण भी देखे जाते हैं| वायरस का कोई इलाज नहीं| इसमें हम सिर्फ देखभाल कर सकते हैं| वायरल बुखार में आपको पानी, जूस, इत्यादि अच्छी-खासी मात्रा में पीना चाहिए, और आराम भी करना चाहिए| अगर 3-4 दिन में कोई असमान्य लक्षण दिखें, या तापमान 101°C से ऊपर जाये, तो किसी वैद्य या डॉक्टर को अवश्य दिखाएं| वायरल बुखार अक्सर लोगों को होता रहता है - कोरोना का बुखार भी वायरल बुखार ही है| डेंगू (Dengue) भी वायरल बुखार है|
- बैक्टीरिया की वजह से - जैसे की टाइफाइड बुखार (Typhoid)
- फफूंद (फंगस) की वजह से - जैसे की रिफ्ट वैली ज्वर (RVF)
- परजीवी (parasite) की वजह से - जैसे मलेरिया बुखार (malaria)
- किसी संक्रमण की वजह से - जैसे की यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI), और ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) इंफेक्शन की वजह से
- ऑटो-इम्यून बिमारियों की वजह से (जैसे सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस, Lupus), या अगर आपकी रोग-प्रतिरोधक छमता कमजोर है (संभवतः मिनरल्स, और विटामिन्स की कमी के कारण)
- कैंसर (Cancer), टीबी (tuberculosis) होने पर भी बुखार अक्सर हो जाता है
बुखार कितने प्रकार के होते हैं ?
ज्वर को कई प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है, जैसे की उसके चरणों के आधार पर, ज्वर की तीव्रता के आधार पर, इत्यादि| हम मोटे तौर पर बुखार को वर्गीकृत करेंगे, जो हमे समझने में आसान हो|
स्थिर या निरंतर बुखार
स्थिर या निरंतर बुखार में तापमान स्थिर बना रहता है, सुबह से शाम तक, यहाँ तक की कई दिनों तक| तापमान सामान्य से 2°C तक बढ़ जाता है और उसमें फिर अधिक अंतर नहीं आता है|
अस्थिर बुखार (Irregular Fever)
अस्थिर बुखार में तापमान सामान्य से बढ़ जाता है, और फिर कुछ समय बाद फिर सामान्य हो जाता है| यह प्रक्रिया 3-4 दिन चलती है, और शाम के समय तापमान थोड़ा अधिक रहता है| उदाहरण के लिए मलेरिया का बुखार| (विपरीत बुखार में सुबह तापमान ज्यादा और शाम को कम होता है|)
अल्पविरामी बुखार
बुखार सामान्य से 1°C तक बढ़ता है, और फिर 1-2 दिन ऐसे ही रहता है|
शीत कपकपी बुखार (Rigor Fever)
इस बुखार में शरीर का तापमान अचानक से कपकपी के साथ चढ़ता है| अर्थार्थ, पहले बहुत ज़ोर से ठण्ड लगती है, और फिर बदन जलने लगता है| उदाहरण के लिए निमोनिया (Pneumonia)|