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दर्द और सूजन कम करने के लिए ठंडी सिकाई करें या गर्म सिकाई? (Hot therapy Vs. Ice Therapy)

हममें से ज्यादातर को यह तो पता है कि चोट लगने पर, सूजन होने पर, अथवा शरीर में कहीं दर्द होने पर सिकाई करने से लाभ मिलता है| परन्तु, संभवतः ज़्यादातर लोग इस बात को लेकर भ्रमित रहते हैं की गर्म सिकाई की जाये, अथवा ठंडी|

अतः, इस लेख में हम इस विषय पर प्रकाश डालेंगे, ताकि भविष्य में आपको अच्छे से पता हो की बर्फ से सिकाई करनी है, ये गर्म पानी से|

(इस लेख में हम जानेंगे - Warm therapy Vs. Ice Therapy, in Hindi)

Table of Contents (in Hindi)
  • ठंडी सिकाई कब करें?
  • गर्म सिकाई कब करें?
  • सिकाई करते हुए कुछ आवश्यक सावधानियाँ

ठंडी सिकाई कब करें ? (Thandi sikai kab karen?)

  • अगर आपको गुम चोट लगी है, जैसे मोच आना या कहीं ठोकर लग जाना, तो वहां सूजन शुरू हो जाएगी और वहां खून का प्रवाह तेज हो जायेगा| इसकी वजह से दर्द बढ़ जाता है| ऐसी अवस्था में बर्फ से ठंडी सिकाई करने से आराम मिलता है, क्यूंकि यह खून के प्रवाह को कम करती है|

  • अगर आपको चोट की वजह से थोड़ा-बहुत खून आ रहा है, तो भी बर्फ की सिकाई से खून आना बंद हो जाता है| और ठंडक की वजह से वो जगह थोड़ी सुन्न हो जाती है, जिससे दर्द में आराम मिलता है|

  • कमर या कंधे का दर्द जो नया-नया है, यानि 1-2 दिन पहले ही शुरू हुआ है, या ये कभी-कभी होता रहता है, तो ठंडी सिकाई काम आती है| परन्तु पुराने दर्द में गर्म सिकाई की जाती है| कभी-कभी हम सोकर उठते हैं और पाते हैं की हमारी गर्दन अकड़ी हुई है| ऐसे अचानक होने वाले दर्दों में भी ठंडी सिकाई आराम देती है|

  • अगर आपकी नस-पे-नस चढ़ गयी है, तो ठंडी सिकाई आपको आराम देगी|

  • अगर शरीर में कहीं भी दर्द के साथ सूजन भी हो, तो ठंडी सिकाई ही करें, गर्म नहीं| गर्म सिकाई सूजन को और बढ़ा सकती है|

  • अगर आप किसी पुरानी चोट से उभर रहे हैं, जैसे की आपकी हड्डी टूटकर जुडी है, तो कुछ हलके व्यायाम के साथ ठंडी सिकाई करना फायदेमंद होता है और यह चोट से जल्दी उभरने में मदद करता है|

  • नसों से सम्बंधित बिमारियों या जहाँ मांसपेशियों में अकड़न पैदा होती है, जैसे की मस्तिष्क पक्षाघात (cerebral palsy) और लकवा, में ठंडी सिकाई लाभदायक होती है|

गर्म सिकाई कब करें ? (Garm sikai kab karen?)

  • अगर आप ऐसा कोई काम करते हैं, जिससे आपकी किसी माँसपेशी पर बार-बार या लगातार जोर पड़ता है, तो अक्सर वहां खून का प्रवाह कम हो जाता है, और इस कारणवश हमें वहां दर्द हो जाता है| उदाहरण के लिए लगातार बैठे रहने से कमर में दर्द होना, अथवा गेंदबाज़ी करने से कन्धों में दर्द होना, इत्यादि| ऐसे में गर्म सिकाई काम आती है, क्यूंकि यह खून के प्रवाह को बढाती है| परन्तु, यह तुरंत न करें| गर्म सिकाई तभी करें अगर दर्द कम-से-कम 1-2 दिन पुराना हो|
नोट

चोट अगर नयी है, तो हम ठंडी सिकाई करते हैं, 1-2 दिन के भीतर ही, उसके बाद नहीं| गर्म सिकाई पुरानी सूजन अथवा पुराने माँसपेशी अथवा जोड़ों के दर्द में काम आती है - ऐसा दर्द जो कम-से-कम 1-2 दिन पुराना हो|

  • मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए भी गर्म बोतल से सिकाई काफी असरदार साबित होती है|
नोट

निम्नलिखित के लिए ठंडी सिकाई प्रयोग में लाएं :

  • मोच आने पर (Sprain)
  • नयी चोट लगने पर - चाहे वो ग़ुम हो और सूजन आ गयी हो (Swelling), या कहीं कटा हो (Bruising)
  • माँसपेशियों में खिचाव (Pulled Muscles)
  • व्यायाम के बाद

निम्नलिखित के लिए गर्म सिकाई प्रयोग में लाएं :

  • माँसपेशियों का दर्द, या माँसपेशियों में अकड़न (Muscle Ache or Muscle Stiffness)
  • संधि शोथ यानि “जोड़ों में दर्द” (Arthritis)
  • पुराना कमर का दर्द
  • व्यायाम करने से पहले

सिकाई करते हुए कुछ आवश्यक सावधानियाँ (Sikai karte hue savdhaniyan)

  • चोट लगते ही गर्म सिकाई न करें, खासतौर से अगर खून बह रहा है| वर्ना खून का प्रवाह और भी तेज हो जायेगा| खून का प्रवाह कम करने के लिए ठंडी सिकाई की जाती है|

  • गर्म सिकाई 10-15 मिनट से ज्यादा न करें| इससे पीड़ा बढ़ सकती है| बीच-बीच में बोतल को हटाकर देखते रहे| ठंडी सिकाई भी लगातार न करें, बीच-बीच में देखते रहें, क्यूंकि ठंडी सिकाई से भी त्वचा जल सकती है|

  • गर्म पानी की बोतल सीधे त्वचा से न सटाएं| उसको किसी कपडे में लपेट कर, फिर सिकाई करें| ग्लास की बोतल में गर्म पानी भरने की बजाय, रबर की बोतल का इस्तेमाल करें| ग्लास की बोतल ज्यादा गर्म लगती है, और इसके चटकने का खतरा भी बना रहता है, जो आपको जला सकता है| इसी प्रकार, बर्फ को भी सीधे त्वचा से न सटाकर, उसे कपडे में लपेटकर प्रयोग करें|

  • जिन लोगों को गर्म-ठन्डे का पता कम लगता है, मधुमेह के मरीज, या जिनकी त्वचा बहुत संवेदनशील है, वो लोग ज्यादा देर सिकाई न करें, ख़ासतौर से गर्म सिकाई| वर्ना उन्हें पता भी नहीं चलेगा और वो लोग जल जाएंगे|

  • नसों से सम्बंधित दर्द या बीमारी में गर्म सिकाई नहीं करनी चाहिए|

  • ठंडी सिकाई सुन्नपन उत्त्पन्न करती है, इसलिए दिल की बीमारी या फेफड़ों की बीमारी में ठंडी सिकाई न करें| यह सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकती है|

  • खुली चोटों/घावों पर, जहाँ टीके लगे हों, छालों पर कोई सिकाई न करें - न ठंडी, न गर्म|

  • अगर आपको ठंडी चीज़ों से एलर्जी हो जाती है (जैसे की, बुजुर्ग लोगों को), तो आप ठंडी सिकाई न ही करें|

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