post-thumb

गिलोय के फायदे और नुकसान (Giloy ke fayde aur nuksan in hindi)

गिलोय आयुर्वेद की एक बहुत ही गुणवान जड़ी-बूटी है| इसको राजीव दीक्षित जी, और उसके बाद रामदेव जी ने काफी प्रसिद्द किया| कोरोना काल में भी गिलोय के काफी फायदे लोगों ने समझे और इसका काफी सेवन किया| संभवतः इक्कीसवीं सदी के भारत को आयुर्वेद की संपन्न संपदा का पुनः भान होना प्रारंभ हो गया है|

इस लेख में हम इस अद्भुत जड़ी-बूटी के बारे में और जानने की कोशिश करेंगे - इसके फायदे, सेवन का तरीका, और हाँ कुछ संभावित सावधानियाँ और नुकसान भी|

(इस लेख में हम जानेंगे - Pros and Cons of Giloy, in Hindi)

Table of Contents (in Hindi)
  • गिलोय के फायदे
  • गिलोय सम्बंधित सावधानियाँ और नुकसान
  • गिलोय कहाँ से लें ?
  • गिलोय का काढ़ा खुद कैसे बनाएं ?

गिलोय के फायदे (giloy ke fayde)

  • गिलोय के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है| शायद ही कोई और चीज़ रोग प्रतिरोधक छमता को इतनी प्रभावी ढंग से बढाती हो, जितना गिलोय बढ़ाता है| ये शरीर में छुपी गंदगी को साफ़ करता है, और इस प्रकार वायरस, बैक्टीरिया को शरीर में जड़ ज़माने नहीं देता| खांसी, जुखाम, एलर्जी इत्यादि आराम से होने नहीं देता|

    यह में अपने अनुभव से बता सकता हूँ| जबसे मेने गिलोय का सेवन प्रारम्भ किया है, मुझे जुखाम हुए 2 साल हो गए| थोड़ा बहुत जुकाम बना भी तो 1-2 घंटे में खुद ही ठीक हो गया|

  • गला ख़राब लगे तो गिलोय ले लीजिये| यह ख़राब गले को बहुत जल्द ठीक कर देता है, खासतौर से यदि शुरूआती दौर में ही इसे ले लिया जाये|

    में नीम्बू काफी खाता हूँ, और इसकी वजह से मेरा गला अक्सर खराब हो जाया करता था| पर अब जब भी मुझे लगता है की थोड़ा सा भी गला खराब हो रहा है, तो में तुरंत 2 चम्मच गिलोय, एक कटोरी पानी में मिलाके ले लेता हूँ| ये बहुत जल्द असर करता है|

  • कुछ बुखारों में भी इसे लाभकारी बताया जाता है| जैसे की डेंगू बुखार में खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है; गिलोय यहाँ अच्छा असर करता है| मलेरिया के बुखार में भी इसे शहद के साथ लिया जाता है|

  • गिलोय में शुगर घटाने वाले गुण पाए जाते हैं, इसलिए यह मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है, ख़ासतौर से टाइप-2 डायबिटीज वाले मरीज़ों के लिए| गिलोय वजन भी घटाता है, और इस प्रकार भी यह मधुमेह रोगियों के लिए हितकारी है|

  • गाउट या गठिया के रोग में भी गिलोय लाभकारी है| यह न केवल गठिया कम करता है, अपितु यह जोड़ों के दर्द, सूजन और जलन भी कम करता है| यह रोग वाद के असंतुलन के कारण होता है, और गिलोय में वाद-दोष कम करने वाले गुण पाए जाते हैं| गठिया रोग वाले सुबह और शाम इसका काढ़ा बनाकर पी सकते हैं|

  • गिलोय खून भी साफ़ करता है और दिल की सेहत के लिए भी अच्छा है| उच्च रक्तचाप रोगी इसका सेवन करके इसके लाभ उठा सकते हैं|

  • अस्थमा रोगी भी इसका सेवन कर सकते हैं, पर अपने वैद्य की एक बार सलाह अवश्य ले लें| अक्सर अस्थमा रोगियों को गिलोय के जड़ की छाल चबाने की सलाह दी जाती है, या इसके पाउडर को शहद के साथ ग्रहण करने को कहा जाता है|

इसके अलावा गिलोय पेट सम्बन्धी समस्याएं दूर करता है, जैसे की पेट की गैस, अपाचन इत्यादि| इसमें एंटी-एजिंग, एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा को जवान बनाये रखते हैं, और बुढ़ापा जल्द नहीं आने देते| गिलोय को आँखों के लिए भी अच्छा बताया गया है|

गिलोय सम्बंधित सावधानियाँ और नुकसान (giloy ke nuksan)

गिलोय के सेवन सम्बंधित कुछ सावधानियाँ भी हैं, जो आपको बरतनी पड़ेंगी, वर्ना गिलोय से नुकसान, साइड-इफेक्ट्स भी हो सकते हैं|

  • अगर आपको मधुमेह है, तो बिना डॉक्टर से सलाह किये गिलोय न लें|
  • गर्भवती स्त्रियां या दुग्धपान कराने वाली माएँ गिलोय न लें|
  • 5 साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दें|
  • अगर आपने कुछ समय पहले ही सर्जरी कराई है, तो गिलोय का सेवन न करें|
  • गिलोय से कब्ज और लो ब्लड प्रेशर भी हो सकता है|
  • ऑटो-इम्यून वाली बिमारियों से ग्रसित लोग भूलकर भी इसे न लें|

गिलोय कहाँ से लें ?

आप गिलोय का जूस, गोली या पाउडर बाजार से खरीद सकते हैं| पर इससे भी अच्छा है की आप गिलोय घर लाकर इसका काढ़ा खुद बना लें| मगर अगर आपके पास ज्यादा समय न हो तो किसी अच्छी कंपनी का गिलोय जूस भी अच्छा काम करता है; उसे ही ले लें|

आप गिलोय की बेल घर में भी लगा सकते हैं| यह किसी पौधों की नर्सरी में आपको मिल जाएगी| गिलोय का छोटा सा भी टुकड़ा अगर आप अपने गमले या क्यारी में लगा देते हैं, तो यह 15-20 दिन में बढ़ना शुरू हो जायेगा|

इस बेल की एक खासियत यह होती है कि, यह जिस पेड़ का सहारा लेकर ऊपर चढ़ती है, उसके गुण भी अपने में समाहित कर लेती है| इसलिए लोग अक्सर इसे नीम के पेड़ के सहारे बढ़ाते हैं| इस प्रकार इसमें गिलोय के गुण के साथ-साथ, नीम के गुण भी आ जाते हैं| तब तो ये अमृत-तुल्य ही हो जाती है|

नोट

गिलोय की डंठल/डाली में इसके ज्यादातर गुण होते हैं, न की इसकी पत्तियों में|

गिलोय का काढ़ा खुद कैसे बनाएं ?

अगर आप गिलोय का काढ़ा घर पे खुद बनाना चाहते हैं, तो गिलोय के 2-3 छोटे-छोटे टुकड़े लीजिये और उनको पत्थर की मसालेदानी/इमामदानी/ओखली में पीस लीजिये| गिलोय की डंडियां ही लीजियेगा, उसकी पत्तियां नहीं| और हाँ, पीसने से पहले उन्हें अच्छे से धो जरूर लीजियेगा|

तद्पश्चात, आप उसमे 2-3 काली मिर्च के टुकड़े, 2-3 तुलसी के पत्ते, और थोड़ा सा अदरक भी मिलाके पीस सकते हैं|

अब आप इस पेस्ट में एक गिलास पानी मिलाके, किसी बर्तन में डालके अच्छे से उबालिये| जब पानी आधा बचे तब इसे छान लीजिये| इसे आप सुबह और शाम को पीजिये, पर खाली पेट|

क्यूंकि यह बोहत कड़वा होता है, तो इसमें आप पानी मिला सकते हैं| में इसमें तुलसी का जूस मिलाके पीता हूँ| इससे इसका स्वाद थोड़ा बेहतर हो जाता है|

नोट

गिलोय बहुत अधिक मात्रा में या बहुत अधिक दिन तक लगातार न लें| चौथाई-आधा कप गिलोय का जूस या काढ़ा दिन में काफी होता है| दो चम्मच भी प्रभावी होगा| 10-15 दिन लगातार लें, और फिर कुछ दिन ना लें|

Share on:
comments powered by Disqus