लड़कों को खट्टा क्यों नहीं खाना चाहिए (purush ko khatta kyu nahi khana chahie)
खट्टा खाना सबको अच्छा लगता है, जैसे की अचार, निम्बू इत्यादि| परन्तु क्या आपको पता है कि खट्टा खाने के कई नुकसान भी हैं, खासतौर से अगर आप पुरुष हैं | आपने शायद बुजुर्गों से सुना हो - औरत गयी वो जिसने खायी मिठाई, और मर्द गया वो जिसने खाई खटाई|
आइये अब जानते हैं कि भारत में प्रचलित इस लोकोक्ती में कितनी सच्चाई है|
(इस लेख में हम जानेंगे - Cons of eating sour food items for men, in Hindi)

- कौन-कौन से प्रदार्थ खट्टे होते हैं?
- ज्यादा खट्टा खाने के पुरुषों में दुष्परिणाम
- मीठी दही खानी चाहिए या खट्टी दही?
कौन-कौन से प्रदार्थ खट्टे होते हैं? (kaun se khane khatte hote hein?)
निम्नलिखित खाने की चीज़ों को खट्टा माना जाता है:
- अचार
- निम्बू
- आम, खासतौर से कच्चा आम (यानी अमिया)
- इमली
- आँवला
- कीवी
ज्यादातर प्राकर्तिक खट्टी चीज़ों में सिट्रिक एसिड (Citric acid) होता है|
ज्यादा खट्टा खाने के पुरुषों में दुष्परिणाम (jyada khatta khane ke puruson mein nuksan)
ज्यादा खट्टा (जैसे की अचार) खाने से पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है, और इससे उनके नपुंसक होने का ख़तरा बढ़ जाता है|
अधिक मात्रा में खट्टा खाने से पुरुषों के शारीरिक विकास और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है, जैसे की उनकी लम्बाई और सेहत पर|
बीमार होने पर अक्सर वैद्य और डॉक्टर्स खट्टा खाने से माना कर देते हैं| पर आखिर क्यों? वो इसलिए, क्यूंकि खट्टा खाना आपका पेट ख़राब कर सकता है, जो आपकी तबियत और भी खराब कर देगा| इससे घाव भरने का समय भी बढ़ जाता है और उसमें इन्फेक्शन/संक्रमण होने की संभावना भी बढ़ जाती है, चाहे वो घाव अंदरूनी हो या बाहरी|

पर थोड़ा खट्टा खाना स्वास्थय के किये अच्छा भी होता है| जैसे की कई खट्टे प्रदार्थों में विटामिन C होता है, जो आपकी रोग-प्रतिरोधक छमता बढ़ाता है|
मीठी दही खानी चाहिए या खट्टी दही? (mithi dahi khayein ya khatti dahi?)
ज्यादातर हम सभी लोग ताज़ी दही ही खाना पसंद करते हैं। ताज़ी दही थोड़ी मिठास लिए होती है, बिना मीठा मिलाये भी| दही में जैसे-जैसे खठ्ठास आता है, तो इसका मतलब यह है कि दही खराब होने लगी है।
पर हम लोग अक्सर दही में कुछ मिलाकर उसको खाते हैं, क्यूंकि इससे उसका स्वाद बढ़ जाता है|
मिठी दही - जब हम दही में गुड़, शक्कर या मिश्री मिलाते हैं|
खट्टी/नमकीन दही - जब हम दही में नमक मिलाते हैं|
पर स्वास्थ्य के हिसाब से कौनसी दही बेहतर है ?
हमें दही में वही मिलाकर सेवन करना चाहिए जो इसके जीवाणुओं को बढ़ाये ना कि उन्हें मारे। दही तभी तक स्वास्थ्यवर्धक होती है जबतक उसमें हमारे शरीर के माफिक जीवाणु/बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं।
परन्तु दही में नमक मिलाते ही उसमें मौजूद जीवाणु नष्ट होने लगते हैं और उसके अच्छे गुण समाप्त हो जाते हैं| मृत जीवाणु लाभकारी नहीं होते हैं। इसके विपरीत, दही में मीठा मिलाने से उसमें जीवाणुओं की संख्या और भी बढ़ जाती है|
इसलिए भारत में हमेशा से मीठी दही की परंपरा रही है, खट्टी दही की नहीं| किसी जरूरी काम से बाहर जाते हुए भी हम मीठी दही खाकर जाते हैं| खट्टी दही खाना सेहतमंद नहीं माना जाता|
उपसंहार
याद रखिये, खट्टा खाना गलत नहीं है| अपितु उचित मात्रा में खट्टा खाना तो सेहत के लिए अच्छा ही होता है, जैसे की निम्बू से आपको विटामिन C मिलता है| दिक्कत तब होती है जब अति की जाती है|
आवश्यकता से अधिक तो कुछ भी खाना आपको नुकसान ही पहुचायेगा| परन्तु खट्टे खाने के मामले में यह खतरा कहीं अधिक है| आप मीठा या नमकीन अधिक खा लें तो भी शायद आपको ज्यादा नुकसान ना हो, पर अगर आपने ज्यादा खट्टा खा लिया तो आपकी सेहत ख़राब होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है| अतः खट्टा खाते हुए अतिरिक्त सावधानी बरतें|