नसों की कमजोरी के घरेलू उपाय (nason ki kamzori ke gharelu upay)
नसें हमारे पूरे शरीर में फैली हुई होती हैं, पैर से लेकर मेरुदंड और सर तक| नसों को अंग्रेजी में nerves और आयुर्वेद में वात नाड़ी कहा जाता है| नसों के स्नायु तंत्र के कारण ही हमारे शरीर के बाकी हिस्से दिमाग तक सन्देश पंहुचा पाते हैं|
कई बार हमारी नसों में कमज़ोरी आ जाती है - यह पूरे शरीर में भी हो सकती है, और शरीर के किसी विशेष हिस्से में भी| इस लेख में हम इस कमजोरी के लक्षण, कारण और कुछ घरेलु उपायों पर विचार-विमर्श करेंगे|
(इस लेख में हम जानेंगे - Home remedies for nerve weakness, in Hindi)

- नसों की कमजोरी के लक्षण
- नसों की कमजोरी के कारण
- नसों के कमज़ोरी से क्या बीमारियां हो सकती हैं ?
- नसों की कमजोरी का इलाज
नसों की कमजोरी के लक्षण (nason ki kamzori ke lakshan)
- शरीर के किसी हिस्से में सुइयाँ चुभने जैसी अनुभूति हो सकती है, या झनझनाहट (tingling sensation), फड़कन हो सकती है|
- कभी- कभी आपके शरीर का कोई हिस्सा सुन्न पड़ जाता है|
- कहीं बहुत तेज दर्द होता है, ऐसा जैसे करंट लग गया हो|
- कभी-कभी शरीर के किसी हिस्से में झटके से लगते हैं, और थकान महसूस होती है - सिर्फ नसों में ही नहीं, अपितु उससे जुडी माँसपेशियों में भी|
- अगर आपकी कोई इंद्री कमज़ोर महसूस हो रही है, जैसे की सुनने की शक्ति, दृष्टि, इत्यादि, या फिर आपके दिमाग पर असर पड़ रहा है, जैसे की आपकी याद्दाश्त कमज़ोर हो रही है, तो भी यह नसों की कमज़ोरी का एक संकेत हो सकता है|
नसों की कमजोरी के कारण (nason ki kamzori ke karan)
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कोई भी गति वात के कारण होती है, नसों के द्वारा प्रेषित किये जा रहे संकेत भी| अगर आपका वात-दोष बिगड़ जायेगा तो यह आपकी नसों पर असर डाल सकता है|
वात बढ़ाने वाले (गैस बनाने वाले) सभी भोजन आपके नसों को कमज़ोर कर सकते हैं, जैसे की रूखा-सूखा खाना, फ़ास्ट-फ़ूड, तला हुआ खाना इत्यादि| ठन्डे खाने और पेय से भी वात बढ़ता है| अगर आपकी नसों में कोई भी तकलीफ है, तो सबसे पहले ठंडी और खट्टी चीज़ों से तौबा कर लें - यह आपके लिए ज़हर समान हैं|
ज्यादा यात्रा करने से, और हद से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों के उपयोग से भी आपकी नसें कमज़ोर हो सकती हैं, ख़ासतौर से आपकी आँखों और दिमाग की नसें| इसलिए टीवी कम देखें, हमेशा मोबाइल में ही आँखें न गढ़ायें रहें, वीडियो-गेम्स की जगह थोड़े बाहर के खेल भी खेलें| थोड़े समय खाली बैठें| वात-दोष वाला व्यक्ति ज्यादा देर खाली बैठ ही नहीं पाता है| वो शारीरिक रूप से हमेशा कुछ करता रहता है, या उसके दिमाग में कुछ न कुछ उथलपुथल चलती ही रहती है|
हद से ज्यादा काम करने से और चिंता करने से भी वात-दोष बढ़ता है, और इसके दुष्परिणाम लम्बे समय में आपकी नसों पर पड़ने की प्रबल सम्भावना होती है| ज्यादा दुखी या डिप्रेस्ड रहने से, या भविष्य को लेकर डर आपके जहन में लगातार बने रहने की वजह से भी ऐसा हो सकता है|
कभी-कभी ऐसा नसों पर आयी चोट की वजह से भी हो सकता है, जैसे की किसी एक्सीडेंट में, या लगातार बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी और नसों के दबने से, आदि|
कुछ बिमारियों के कारण भी नसें कमज़ोर हो जाती हैं, जैसे की मधुमेह (diabetes) की वजह से|
कोई ज़हरीला प्रदार्थ खाने से या शरीर में पोषक तत्वों की कमी से भी नसें कमज़ोर हो सकती हैं, जैसे की विटामिन्स और मिनरल्स की कमी से|
नसों के कमज़ोरी से क्या बीमारियां हो सकती हैं ? (nason ki kamzori se kya bimari ho sakti hai?)
- नसों के कमज़ोरी से आपको लकवा मार सकता है| अगर यह कमज़ोरी आँख में आयी, तो आपकी दृष्टि जा सकती है|
- दिमाग में नसों की कमज़ोरी से नस सूख सकती है, और बाद में यह ट्यूमर में परिवर्तित हो सकती है|
इसके अलावा बहुत भारी-भारी नामों वाली बीमारियां इस कारणवश हो सकती हैं|
नसों की कमजोरी का इलाज (nason ki kamzori ka ilaj)
जैसा की हम ऊपर पहले ही इंगित कर चुके हैं, वात-दोष बढ़ाने वाले भोजन और पेय आपके लिए वर्जित हैं| रुखा-सूखा भोजन, बासी भोजन, ठंडा पानी, कोल्ड-ड्रिंक, आइसक्रीम, इत्यादि न ग्रहण करें|
घर का बना सादा, सात्विक खाना खाएं, जो आराम से पच जाये| जितना हो सके हरी सब्ज़ियां, फल और सलाद खाएं|
कॉफ़ी, चाय, मदिरा का सेवन भी ऐसे मरीज़ों के लिए वर्जित है| दूध पी सकते हैं - दूध में दालचीनी और इलाइची डाल कर सेवन करें|
दूध से बनी अन्य चीज़ें भी लाभप्रद होती हैं, जैसे की मलाई, मक्खन, पनीर, घी|
रात को बादाम, अखरोठ पानी में भिगाकर सुबह ग्रहण करें|
मैदा और सफ़ेद चीनी का सेवन भी न करें|
हो सके तो प्रोसेस्ड फ़ूड और फ़र्टिलाइज़र से उपजाए गए भोजन प्रदार्थों को न खरीदें| प्राकर्तिक रूप से उपजाया गया भोजन (आर्गेनिक फ़ूड) लें|
खाने पीने की सावधानी के अलावा नसों के लिए तेल मालिश बहुत कारगर साबित होती है| तेल पीने से या शरीर में लगाने से वात-दोष भी घटता है, जिससे नसों की तकलीफ में भी सुधार होता है|
नसों और नाड़ियों की किसी भी कमज़ोरी या अन्य समस्या के लिए योग रामबाण इलाज है - खासतौर से प्राणायाम और ध्यान (meditation)| रोजाना यह करना शुरू कर दें, चाहे 10 मिनट के लिए ही सही| आपको पहले-दुसरे दिन से ही आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा|
मेरुदंड के लिए योग में जो आसन निर्देशित हैं, उन्हें करें - जैसे कि भुजंग आसन, धनुरासन, मर्कटासन इत्यादि|
अगर आयुर्वेद की बात करें तो नस-नाड़ियों की ऐसी दिक्कतों के लिए आप अलोएवेरा और गिलोय जूस का सेवन कर सकते हैं| इसके अलावा आप शिलाजीत भी ले सकते हैं - शिलाजीत सिर्फ योन-शक्ति के लिए नहीं होता, अपितु यह शरीर के लिए और कई तरह से लाभकारी होता है| हाँ इसकी तासीर थोड़ी गर्म जरूर होती है, अतः गर्मी के मौसम में आप इसके सेवन से परहेज़ कर सकते हैं| च्नद्रप्रभा-वटी और निर्गुन्डी (Nirgundi) का रस भी इस प्रयोजन हेतु कारगर है|